देनदारी में हो सकती थी बढ़ोतरी इस एजीआर संबंधित देनदारी में बढ़ोतरी हो सकती थी। ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि कंपनी ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट से मिले नोटिस के आधार पर एजीआर की मूल रकम के 1,100 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया है। वहीं, पिछले 2-3 साल का अनुमान कपना न खुद लगाया हा ब्राकरज फर्म क्राडट सुइस क अनुसार, वोडाफोन आइडिया की एजीआर संबंधित देनदारी 54,200 करोड़ रुपये रह सकती है। ऐसे में टेलीकॉम कंपनी को 10,100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोविजनिंग एजीआर के लिए करनी पडेगी। सप्रीम कोर्ट ने कंपनी को तीन महीने के अंदर इस रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है।
भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलिसर्विस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर 24 अक्तूबर को दिए गए फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्तूबर को फैसला दिया था कि लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस के भुगतान की गणना के लिए एजीआर में नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू भी शामिल किया जाए। इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों की सरकार को देनदारी बढ़ गई। यही वजह है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया दिसंबर से टैरिफ बढ़ाने का एलान कर चुके हैं। इन दोनों के बाद रिलायंस जियो ने भी अगले महीने से मोबाइल टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर दी। कैबिनेट ने वित्तीय संकट से जझ रही दुरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए उनके लिए स्पेक्ट्रम किस्त का भगतान दो साल के टालने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फैसले की जानकारी देते हए कहा, दुरसंचार कंपनियों को 2020-21 और 202122 दो साल के लिए स्पेक्ट्रम किश्त भुगतान से छूट दी गई है।